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“सम्बन्ध – Valentine Contest”

my thoughts
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मेरी रचनाओ पे आप सबो की प्रतिक्रियाओ के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,, आप सबो की प्रतिक्रिया लिखने को प्रेरित करती है…….
…….. आज जब हम सभी भागम भाग की वैसी स्थिति में है जंहा साँस लेने भर की फुरसत किसी को नहीं है रिश्ते निभाने की बात तो दूर है. लेकिन फिर भी अनजाने में ही कुछ ऐसे रिश्ते बन जाते है जिनका न तो कोई नाम होता है न ही कभी हो सकता है लेकिन फिर भी यह रिश्ता घन और सावन की तरह अटूट रहता है. मेरी यह रचना भी एक ऐसे ही रिश्ते के आस पास है जिसका शीर्षक है “सम्बन्ध”. आशा है रचना पसंद आएगी………..

” कैलेंडर के दिनों के साथ,
बदलता गया वक्त,
और, वक्त के साथ-साथ
परती गयी, हमारे,
चेहरों पर झुर्रिया.
बदलता गया मौसम,
मौसम की तरह लोग,
और, लोगो के साथ-साथ,
परिस्थितियां.
परिस्थितियां, जिन्होंने कभी
हंसाया, तो कभी बे मौसम रुलाया.
कभी ऐसी परिस्थितियां भी आई,
जिसमे खुद को असहाय पाकर,
मैंने छोर दी थी, जीने की आस,
परन्तु, उस घरी तुमने,
यह सिद्ध कर दिया की,
कुछ रिश्ते, जिनके न तो,
कोई नाम होते है,
न ही कोई अस्तित्व,
वे उम्र की इस दहलीज पे,
आकर भी नहीं बदलते,
और उनके बीच का रिश्ता,
घन और सावन की तरह अटूट रहता है.

अभिजीत साहू
(9939195461)
abhijeet.sahu84@gmail.com
………………. मेरी यह रचना वर्ष २०१० में LIC Muzaffarpur की वार्षिक पत्रिका वैशाली में प्रकाशित हो चुकी है. आशा है रचना पसंद आएगी………..

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