जीत-हार
जिंदगी के खेल में,
जीत कभी हार है,
कोई इस पार तो,
कोई उस पार है,
पाप में फसा है कोई,
पुण्य को ढो रहा,
हर घरी कोई कही,
किस्मत पे रो रहा,
हाय! रे विधाता तुने,
कैसी खीची ये लकीर,
बेटा आवारा किसी का ,
बाप कंगाल है.
जिंदगी के खेल में,
जीत कभी हार है,…………………………….
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